Monday, 1 July 2013

चाँदनी महल (परियों का आस्‍ताना, डेरा

मेहरबान अली कैरानवी (संवाद दाताः राष्ट्रीय सहारा हिन्‍दी ) ने पुस्‍तक 'कैराना कल और आज' के अपने लेख में लिखा है कि
चाँदनी महल
कैरानाः शामली कस्बे के बीच, भूरा कंडेला गांवों के राजबाहे की पटरी के निकट प्रसिद्ध चाँदनी महल (परियों का आस्‍ताना, आस्‍थाना,डेरा) आज वीरान होकर अपनी दूरदशा पर तो आंसु बहा रहा है लेकिन सैंकडों बरसों के बाद आज भी यहाँ पहुँचने वाले अक़ीदतमंदों को फेज़याब कर रहा है।
अकीदतमंदों का कहना है कि यहाँ जो भी सच्चे मन से आकर दरूदो पाक-फातिहा आदि कलाम पढ़ अल्लाह से इन बुजुर्गों के वसीले से दुआएं मांगता है अल्लाह उनकी मुराद ज़रूर पूरी करते हैं।
मालूम हुआ कि रात के समय में हर जुमेरात एवं पीर को यहां परियों एवं नेक रूहों की रूहानी मजलिसें भी होती हैं। इस लिए इसे परियों का डेरा भी कहा जाता है। में खुद भी यहां से फेजयाब हो चुका हूँ।

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